सोनिया गांधी का यह बयान कि "हमें भारत में आ रहे विदेशी आतंकवादियों की अपेक्षा अपने ही देश के भीतर के लोगों से ज्यादा खतरा है" खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना है। भारतीय जनता पार्टी इस निन्दात्मक वक्तव्य के लिए उनसे क्षमायाचना की मांग करती है।
मेरा ध्यान कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा खूंटी झारखंड में ११ अप्रैल, २००९ को अपनी पार्टी के उम्मीदवार के समर्थन में आयोजित एक चुनावी रैली में दिए गए अत्यंत आपत्तिजनक भाषण की ओर दिलाया गया है।
................विलोप किया / मिटाया गया।................
मैं कांग्रेस अध्यक्ष की इस सोच से भौचक्का रह गया हूं कि ''हमें भारत में आने वाले विदेशी आतंकवादियों की अपेक्षा अपने देश के भीतर के लोगों से ज्यादा खतरा है।'' अथवा यह कि देश को बाहर से आने वाले आतंकवादियों से खतरा नहीं है बल्कि देश के भीतर से ही खतरा पैदा हो रहा है।''
मैंने सन् १९५२ के प्रथम आम चुनावों से ही सभी कांग्रेस अध्यक्षों को देखा है। उनमें से किसी ने भी ऐसा नहीं कहा कि भारत की सुरक्षा को बाहरी लोगों से ज्यादा देश के भीतर से अधिक खतरा पैदा हो रहा है।
सन् १९८० के दशक के शुरू में भारत में आतंकवाद की शुरूआत से ही भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और अन्य कई दलों सहित भारत के राजनीतिक वर्ग में इस बात पर व्यापक आम-सहमति थी कि इस खतरे का स्रोत सीमापार है और वास्तव में यह खतरा पाकिस्तान द्वारा '''प्रोक्सी वार'' के रूप में है। इस बात पर भी व्यापक सहमति थी कि पाकिस्तान ने आई.एस.आई. के माध्यम से भारत के विरूध्द ''प्रोक्सी वार'' का सहारा लिया हुआ है क्योंकि यह सन् १९४८, १९६५ और १९७१ के परम्परागत युध्दों के जरिए अपने उद्देश्य को पूरा करने में विफल रहा है। भारत के विभिन्न स्थानों पर बम-विस्फोटों के अलावा, पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा दो युध्द जैसे आतंकवादी हमले किए गए जिनमें १३ दिसम्बर, २००१ को भारतीय संसद को निशाना बनाया गया और गतवर्ष २६ नवम्बर को मुम्बई में दो भयंकर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया गया।
वास्तव में, २६ नवम्बर की आतंकवादी घटना के बाद मेरी पार्टी ने यूपीए सरकार को उस समय समर्थन दिया जब इसने वर्ष २००४ में पोटा को निरस्त करने के बाद काफी देर से दो आतंक-विरोधी विधान संसद में पेश किए। मैंने संसद में बोलते हुए कहा था कि भारत के सम्पूर्ण राजनीतिक वर्ग को अपने आंतरिक मतभेद भुलाकर बाहरी खतरे का मुकाबला करने में एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए।
कोई भी राष्ट्रवादी भारतीय सीमापार आतंकवाद के खतरे को कभी भी कम महत्व नहीं देगा और यह नहीं कहेगा कि हमारे देश के भीतर के लोगों से ही ज्यादा खतरा पैदा हो रहा है। यह स्पष्ट है कि सोनियाजी इस सम्बन्ध में अपने वरिष्ठ पार्टी नेताओं की परम्परा से भी अनभिज्ञ हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री ने सन् १९६२ तथा १९६५ की लड़ाइयों के समय राष्ट्रीय प्रयासों में जनसंघ तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के योगदान की सराहना की थी। पंडित जी ने वास्तव में १९६३ की गणतंत्र दिवस परेड़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों को शामिल किया था।
हालांकि श्रीमती गांधी ने भारतीय जनता पार्टी का नाम नहीं लिया था लेकिन यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अध्यक्ष न केवल हमारी देशभक्ति पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा करते हुए बल्कि एक गंभीर आरोप लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी पर हमले कर रही थीं। उन्हें इस निन्दात्मक वक्तव्य के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वे इस मुद्दे पर बहस में हमारे साथ हिस्सा लेकर राष्ट्र को बताएं कि भारतीय जनता पार्टी बाहर से आने वाले आतंकवादियों की अपेक्षा भारत की सुरक्षा और एकता के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा कर रही है। भारत की जनता को फैसला करने दें।
यदि वे बहस में हिस्सा नहीं लेना चाहती हैं तो मैं उनसे आग्रह करता हूं कि वे इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी करने से बचें। मुझे याद आता है कि २००४ के संसदीय चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने तथाकथित "कॉफिनगेट" मुद्दा उछाला था और गंभीर आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन सरकार ने भारतीय सेना के शहीदों के लिए ताबूतों की खरीद में पैसा बनाया। यूपीए सरकार अपने पांच वर्षों के कार्यकाल में इस आरोप को साबित नहीं कर पाई है।
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कांग्रेस दूसरी पारी के कार्यकाल की नहीं बल्कि सबक सिखाए जाने की हकदार है। तीसरे और चौथे मोर्चे प्रासंगिक नहीं है; भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन ही एकमात्र विकल्प है।
................विलोप किया / मिटाया गया।................
कांग्रेस की दो तरीके से मजबूरी है। पहली, अनेक मोर्चों (मूल्यवृध्दि, बेरोजगारी, किसानों की दुर्दशा और आतंकवाद को रोकने में विफलता) पर यूपीए सरकार की विफलताओं और विश्वासघातों के कारण इस पर ''एंटी-इन्कम्बेंसी'' का भारी बोझ है। दूसरे, इसने अपने गठबन्धन के सहयोगी दलों का विश्वास खो दिया है।
पहली मजबूरी से कांग्रेस को देशभर की जनता के रोष का सामना करना पड़ रहा है। और दूसरी मजबूरी से कांग्रेस को अपने गठबन्धन की सहयोगी पार्टियों के अपने प्रति अविश्वास की भावना का सामना करना पड़ा है। देश में इस तरह की भावना पनप रही है कि कांग्रेस पार्टी दूसरे कार्यकाल में सत्ता में आने की बजाए सबक सिखाए जाने के लायक है।
इसलिए, मुझे यह पक्का यकीन है कि कांग्रेस की हार निश्चित है। केन्द्र में एक ऐसी सरकार जो सुशासन, विकास और सुरक्षा के सिध्दांतों के प्रति दृढ़-प्रतिज्ञ हो, बनाने के लिए मतदाता के समक्ष भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन ही एकमात्र विकल्प है। मैं केरल सहित देश के सभी मतदाताओं से अपील करता हूं कि वे भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन में शामिल इसके सहयोगी दलों को स्पष्ट और निर्णायक जनादेश दें ताकि राष्ट्र के समक्ष खड़ी आंतरिक और बाह्य, दोनों चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए नई दिल्ली में एक सक्षम, सशक्त और स्थिर सरकार बन सके।
Hamas is now torturing and executing Gazans who started protesting against
them
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This is what happens when you protest against your barbaric leaders in
Islam…they act like barbarians. And the legacy media in the West and
Leftist Democra...
2 hours ago
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