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Monday, March 22, 2010

Narendra Modi's response to Media & Congress propaganda

Spread The Word











Baseless allegations are being leveled... to defame Gujarat

Text in PDF
मेरे प्रिय देशवासियो !

सादर नमस्कार |

आप इस सच्चाई से अच्छी तरह वाकिफ है कि पिछले आठ वर्षो से कुत्रिम मामले बनाकर मुझ पर तरह-तरह के मनघडंत आरोप लगाने का फैशन सा हो गया है | पिछले एक सप्ताह से जो अफवाहे, आरोप ओर झुठ फैल रहे है, इनकी गहराई में उतरें तो दुध का दुध ओर पानी का पानी हो जएगा | सत्य हमेशा सीमाएं तोडकर भी बाहर आता है | यह सत्य कया है इसका ताजा उदाहरण आपके समक्ष रखने की मुझे जरूरत आन पडी है |

वर्ष २००२की गोधरा घटना के बाद गुजरात विधानसभा सदन और सार्वजनिक रूप से अनेक बार मैने बयान दिया है कि भारत का संविधान और कानुन सर्वोपरि है | कोई भी नागरिक, चाहे वह मुख्यमंत्री हो तो भी कानुन से ऊपर नहीं है | मै इस वास्तविकता को सिर्फ श्ब्दो से ही नही बल्कि सच्ची भावना (इन टु स्पीरिट) से आज तक निभाता आया हुं और भविष्य में भी इसी भावना से निभाने के लिए प्रतिबध हुं |

इसके बाबजुद कई स्वार्थी तत्व, बिना तथ्य के मनघडंत और अनुमानों के आधार पर गुजरात को, मेरी सरकार को और स्वयं मुझे बदनाम करने का कोई भी मोका हाथ से जाने नहीं देते |

हाल ही मे "SIT का नरेन्द्र मोदी को समन्स" जैसी खबरें फैलाकर मोदी SIT के समक्ष उपस्थित नहीं हुए ओर मोदी ने सुप्रीम कोर्ट तथा SIT का अनादर किया ओर मोदीने तय तारीख पर अनुपस्थित रहकरीट SIT का अनादर किया जैसा आधारहीन "ओर् मनघडंत दुषप्रचार करके फिर एक बार गुजरात को बदनाम किया जा रहा है | इसलिए मजबुरी में देशवासियों को इस सार्वजनिक पत्र द्वारा सच्चाई बता रहा हुं |

सच्चाईः

  • अखबारों की रिपोर्ट के मुताबिक SIT ने मुझे बुलवाया है, इसकी जानकारी मिलते ही सरकार के अधिक्रुत प्रवकता ने तत्काल ही बयान जारी किया कि नरेन्द्र मोदी संविधान के पालनकर्ता है ओर कानुन की प्रत्येक प्रर्किया में सहयोग देते रहे है तथा देते रहेगे |

  • SIT ने समन्स भेजकर २१ मार्च २०१० को नरेन्द्र मोदी को बुलवाया है यह झुठ किसने शूरू किया ओर किस लिए शूरू करवाया, यह गंभीर जांच का विषय है |

  • २१ मार्च २०१० को रविवार था ओर इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है | अफवाह फैलाने वाले मित्रो ने इतनी सी प्राथमिक जानकारी हासिल करने की जरूरत नहीं समझी |

  • सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत स्पेश्यिल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) के अधिकारीगण २१ मार्च २०१० को गुजरात में थे या नहीं इसकी प्राथमिक जानकारी हासिल करना भी इन झुठ फैलाने वाले मित्रो को मुनासिब ना लगा |

  • देशवासियों को मै विनम्रता से बताना चाकता हुं कि मुझे उपस्थित होने के लिए २१ मार्च २०१० की तारीख तय नहीं की गई थी, इसलिए SIT में २१ मार्च को मुझे बुलाया गया था, यह बात बिलकुल झुठी है की मै सर्वोच्च अदालत द्वारा नियुक्त संस्था के गौरव तथा कानुन का आदर करके को संपूर्ण सहयोग दूगाव

२१ मार्च २०१० तो कुछ स्वार्थी तत्वो की कोज थी तथा ईसी के तहत कनुन की निर्धारित प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया गया थाकी वह ऐसा चाहते थे कि में SIT को कोई तवज्जो नहीं देना चाहता, ऐसी स्थिति का निर्माण हो

पिछले २४ घंटे से देश में इस मनघडंत जानकारी के दुष्प्रचार का अभियान ऐसा चला कि कई प्रचार माध्यम भी उसके साधन बन गये मुझे आशा है कि अब ऐसा माध्यम भी सच्चा ओर सुधारात्मक अभिगम अपनएगे |

प्यारे देशवासियो |

वर्ष २००२ से गुजरात को लगादार बदनाम कर रहे इन तत्वो को गुजरात ओर देश की जनता अच्छी तरह पहचानती है लेकिन मुझे यह सत्य कहना है कि तरह तरह की सफवाह ओर झुठ फैलाकर जनता को उत्तेजित करने का पाप लोकतंत्र की समग्र प्रक्रिया में अवरोधक बनता है| पिछले २४ घन्टे के इस पूरे घटनाप्रम को देखते हुए, यह झुठ फैलाने ओर मुझे बदनाम करने का षडयंत्र नजर आ रहा है | स्वार्थी तत्वो ओर विभिन परिबलो की आपस में कैसी सांठगाठ है यह स्वयं ही सार्वजनिक हो गया है|

गोधरा और गोधरा घ्टना के बाद की घटनाओं के लिए गुजरात सरकार हमेंशा जांच आयोगो, जांच एजेसियों और सर्वोच्च न्यायालय-सभी की न्यायिक प्रक्रिया का आदर करती रही है और इसलिए ही इस विषय पर किसी भी मामले ओर बयानों के साथ जुडना राज्य सरकार ने उचित नहीं सम्झा |समग्र जांच हमेशा न्यायिक स्तर पर बिना के चलाती रहे इसलिए झुठ ओर बदनामी सहकर भी राज्य सरकारने मौन रखना ठीक सम्झा है |

अब जब पिछले २४ घन्टे का घटनाक्रम झुठ की पराकाष्ठा को पार कर चुका है तो सिर्फ सच्चाई क्या है यह देशवासियों को बताना मैने अपना कर्तव्य समझा है |

म्झे आशा है कि इस सत्य का भी दुरूपयोग करके जांच प्रक्रिया को निहित स्वार्थो के लिए गुमराह करने की कोशिश नहीं की जाएगी और प्रचार माध्यम भी मेरी एस वेदना ओर भावनाओं को लोगो तक पहंव्हाएंगे |

धन्यवाद

CM unravels the truth about supposed SIT summons in his letter to people

Dt: 22.03.2010

My beloved countrymen,

Namaskar,

I am constrained to write to you with a deep sense of anguish. Since last eight years canards have been spread against me. For the past one week if we analyse the allegations leveled against me, then the truth will become evident. Truth cannot be suppressed. It is now my duty to place before you the facts that brings out the importance of understanding what the truth really is.

After the 2002 Godhra incidents, I had categorically said in the Vidhan Sabha and in public that no one is above the Indian Constitution and the law, even if he happens to be the chief minister of a state. These are not mere words. My actions have reflected this statement in its true spirit. I assure you that this would be my stand in the future.

In spite of that, some vested interests without losing a single opportunity and with malicious pleasure and without bothering to ascertain the truth based on mere whims and fancies have been tarnishing the good image of Gujarat, my government and me.
Recently a systematic campaign to defame Gujarat through propagation of false reports titled “SIT summons Narendra Modi”; “Narendra Modi did not appear before SIT” and “Modi has shown disrespect to Supreme Court and SIT.” Such baseless allegations are being leveled once again against me to defame Gujarat.
I am therefore compelled to place the facts before my countrymen.
FACTS:

· As soon as newspapers began reporting that Modi has been summoned by the SIT, the government spokesperson immediately said that Shri Modi is bound by the law of the land and the Indian Constitution. He has always extended his cooperation to every procedure of law. And he is committed to do so in future.

· It is a matter of grave concern and needs investigation as to why and who started spreading lies that “SIT summons Narendra Modi on March 21, 2010”.

· The purveyors of untruth failed even to think that March 21, 2010 happens to be a Sunday and a public holiday.

· These purveyors of lies even did not once bother to check whether the key SIT officers, who are appoited by the Supreme Court, were present in Gujarat on March 21, 2010.

· SIT had not fixed March 21, 2010 for my appearance. To say that I was summoned on March 21 is completely false. I shall respond to the SIT fully respecting the law and keeping in view the dignity of a body appointed by the Supreme Court.

· The date of 21st March 2010 was invented by some vested interest and as a part of their effort to interfere in the due process of law. They wanted to paint me as a person who refused to respond to the SIT. This country has in the last twenty four hours witnessed a campaign of disinformation in which a section of the media became an instrument of the disinformers. I hope this section will now take corrective steps.

My beloved countrymen,

The people of Gujarat and this country have identified those who are defaming Gujarat continuously since 2002. But I want to tell the truth that spreading falsehoods has only one single purpose and that is to instigate people. It is a sinful action which will harm the working of a democratic state. Seen in the backdrop of events in the last 24 hours it shows that there is a nexus among the vested interests in spreading lies against me in order to defame me. This machination has come unstuck and the people have seen through this charade.

Government of Gujarat has always honoured and cooperated with the investigative agencies, commissions and Supreme Court looking into Godhra and post-Godhra incidents. And that is why I never thought of giving a public statement on this issue. Despite unbearable pain, I decided to maintain silence in the belief that due process of law would take its own course.

But now as the lies reach a crescendo as never before I am compelled to bring the facts before the countrymen. I also consider it as my humble duty.

I hope the truth is not twisted by the purveyors of untruth to misguide the investigation. And I expect that the media would bring my deep pain and despair to the notice of the people.

Thanks,

Narendra Modi





Anti-Hindu sellout media having an orgasm over whether Legendary Gujarat Chief Minister Mahatma Narendra Modi will appear on March 21 or not. If not, then when? Or if at all will he attend. Its nothing but extra-judicial trial by prejudiced media all in the name of their fake Secularism.











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