साहित्यकार विष्णु प्रभाकर नहीं रहे
और उड़ गया हिंदी साहित्य का एक ख्यातिलब्ध 'पंछी'। अपनी विभिन्न रचनाओं के कारण असंख्य हिंदी साहित्य प्रेमियों के प्रेरणा-पुंज रहे साहित्यकार विष्णु प्रभाकर का शनिवार को यहां देहांत हो गया। उन्हें सीने में इंफेक्शन की शिकायत के बाद बीते १० दिनों से पंजाबी बाग स्थित महाराजा अग्रसेन अस्पताल में दाखिल कराया गया था। शुक्रवार की रात १२.३० बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। कई पुरस्कारों से सम्मानित स्व. प्रभाकर वर्ष २००४ में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के द्वारा पद्मभूषण सम्मान से नवाजे जा चुके हैं। शनिवार को हैरानी ये देखकर हुई कि दोपहर तक पीतमपुरा स्थित प्रभाकर के आवास पर उनकी शवयात्रा में शामिल होने एक भी राजनेता नहीं पहुंचे। न सरकार का कोई मंत्री या अधिकारी और न लोकसभा चुनाव के लिए अनगिनत राजनीतिक पार्टियों का कोई उम्मीदवार।
शनिवार सुबह से ही पीतमपुरा स्थित उनके आवास पर साहित्य प्रेमियों और मीडिया का जमावड़ा लगने लगा था। जिसने भी प्रभाकर जी के देहावसान की खबर सुनी, वही उस ओर हो लिया। घर पर उनकी बेटियों अनीता एवं अर्चना ने बताया कि साल भर पहले अप्रैल माह में ही कूल्हे की हड्डी टूटने के बाद से उनका स्वास्थ्य खराब चल रहा था। हड्डियां कमजोर होने के कारण चलने-फिरने में भी कठिनाई होती थी। बिस्तर पर लेटकर ही लेखन और किताबों के बारे में चर्चा किया करते थे। शनिवार दोपहर करीब सवा बजे घर से निकली शवयात्रा में परिजनों समेत क्षेत्र के तमाम नागरिक सम्मिलित हुए। इनमें मशहूर हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा, इंद्रप्रस्थ भारती के संपादन से जुड़ी निशा निशांत और उनकी शिष्या प्रिया पालीवाल भी शामिल रहीं।
उनके घर पर एकत्रित हुए लोगों में इस बात की सुगबुगाहट भी सुनने में आई कि देश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों की अंग्रिम पंक्ति में गिने जाने वाले प्रभाकर जी महात्मा गांधी, प्रेमचंद, चंद्रगुप्त विद्यालंकार, जैनेंद्र कुमार, विनोवा भावे, जयप्रकाश नारायण, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय', सियाराम शरण गुप्त, उपेंद्रनाथ अश्क, गुलाब राय सरीखे दिग्गजों के वे काफी करीब थे। फिर इन दिनों चुनावी मौसम चल रहा है और एक- एक वोट के लिए राजनेता ही नहीं, उम्मीदवार भी घर-घर पहुंच रहे हैं। ऐसे में उनके अंतिम दर्शनों को कोई खद्दरधारी नहीं पहुंचा।
- प्रभाकर के निधन से शोक की लहर: वेबदुनिया हिंदी
- साहित्य को पंखहीन छोड़ गए आवारा मसीहा: याहू! भारत
- साहित्यकार विष्णु प्रभाकर का निधन: बीबीसी हिन्दी
उनकी प्रमुख कृतियों में 'ढलती रात', 'स्वप्नमयी', 'संघर्ष के बाद' और 'आवारा मसीहा' शामिल हैं। इनमें से 'आवारा मसीहा' प्रसिद्ध बंगाली उपन्यासकार शरतचंद्र चटर्जी की जीवनी है जिसे अब तक की तीन सर्वश्रेष्ठ हिंदी जीवनी में एक माना जाता है।
विष्णु प्रभाकर का जन्म 29 जनवरी 1912 को उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के मीरापुर गाँव में हुआ था। उनकी माता महादेवी एक शिक्षित महिला थीं जिन्होंने अपने समय में परदा प्रथा का विरोध किया था। - साहित्यकार विष्णु प्रभाकर का निधन: खास खबर
- साहित्यकार विष्णु प्रभाकर का निधन: नवभारत टाइम्स
- साहित्यकार विष्णु प्रभाकर का देहांत
- साहित्यकार विष्णु प्रभाकर का देहांत पर और हिन्दी समाचार के लिए गूगल समाचार पर जाए।
- Renowned Hindi Littérateur Vishnu Prabhakar passes away
Renowned Hindi literateur Vishnu Prabhakar died at a hospital here on Saturday after a brief illness.
He was 97. Prabhakar is survived by two sons and two daughters. His son Atul Prabhakar said he was in hospital since March 23 due to heart problem and urine infection. - Vishnu Prabhakar passes away
Noted Hindi Littérateur Vishnu Prabhakar passed away after prolonged illness in a hospital here during last night. He had been suffering from cancer for last one and half year.
His demise has left a space in the literary world. His books have added more to the prosperous Hindi literature. It is an irreparable loss to Hindi literature. - More from Google News here
No comments:
Post a Comment